किन्नर से प्यार भाग - 12




कहानी _ **किन्नर का प्यार**

भाग _ 12

लेखक _ श्याम कुंवर भारती

सुनंदा के पड़ोस में लोको पायलट मोहन लाल के घर पर खुशी का माहौल था।उनके घर बेटा हुआ था। वहा पार्टी चल रही थी। मिठाईयां बांटी जा रही थी।
सुनंदा की मां ने कहा बेटी आज शर्मा Y जी के घर शाम को चलना है ।उनके यहां बेटा हुआ है।उन्होंने पार्टी में हम सबको बुलाया है तुम कॉलेज से जल्दी आ जाना।
ठीक है मां इतना कहकर वो राखी को फोन करने लगी । अरे तुम कहा हो राखी कॉलेज के लिए देर हो रही है।
राखी ने कहा दस मिनट रुको मैं बस घर से निकल चुकी हूं।ठीक है जल्दी आओ।
तभी शर्मा जी के घर पर हो हल्ला होने लगा।उसने उत्सुकतावास उधर देखा।
कुछ किन्नर वहा आए हुए थे। शर्मा जी और उनमें बहस हो रही थी।
सुनंदा लपक कर वहा पहुंची और माजरा समझने की कोशिश करने लगी।2
उसने शर्मा जी से पूछा क्या हुआ अंकल ये लोग आपसे क्यों बहस कर रहे है।
अरे देखो ने सुनंदा पता नही ये लोग कहा से आ गए नेग के रूप में दस22 हजार रुपए मांग रहे हैं।मेरे पास उतना पैसा नहीं है मैं ढाई हजार रूपए देने को तैयार हूं फिर भी ये लोग मान नही रहे है और बहस कर रहे हैं।
ठीक है आप चिंता मत करे।में इनसे22 बात करती हूं।
उसने उनके लीडर से कहा देखिए ये एक मामूली मालगाड़ी इंजन ड्राइवर है।इनकी तनख्वाह भी बहुत कम है।
काफी सालो बाद इनको एक बेटा पैदा हुआ है।आपलोगो को जो खुशी से दे2 रहे हैं उसे ले लीजिए और बच्चे को आशीर्वाद देकर मिठाई खाकर जाइए।
उनके लीडर जिसका पुष्पा किन्नर था ने ताली बजाते हुए कहा तुम हमारे बीच में मत पड़ समझी ना।मेरा नाम पुष्पा किन्नर है ।मैं जो बोल देती हूं वो लेकर जाती हूं 
देखिए आप लोग जिद मत कीजिए और न नाराज होइए।प्यार से जो मिल रहा है उसे ले लीजिए। सुनंदा ने फिर समझाने का प्रयास किया।
पुष्पा ने कमर लचका कर और ताली बजाकर देख लड़की तुम हमारे बीच में मत पड़।चुपचाप यहां से चली जा2 वरना बहुत महंगा पड़ेगा तुझे। हां नही तो।
कैसे चली जाऊं चुपचाप शर्मा अंकल मेरे पिता तुल्य है ।इनकी हालत मैं जानती हूं।ये आप लोगो को दस हजार रूपए देने की स्थिति में नहीं है।2
सुनंदा ने उन सबको बड़े प्यार से समझाया।
लेकिन पुष्पा किन्नर ने ताली बजाकर लचकते हुए कहा _ तुझे बड़ी दया आ रही है तो तूही दे दे ।हम तो उतना नेग लिए बिना नहीं जाएंगे । तु बोल देती है2 क्या ।
पुष्पा किन्नर ने बड़ी बेशर्मी से कहा।
किन्नरों और सुनंदा में बहस हो ही रही थी तभी राखी भी वहा पहुंच गई । वहा हो हंगामा होते देख वो भी लपकती हुई सुनंदा के पास पहुंच गई।22
यहां क्या हो रहा है सखी तुम इन किन्नरों से क्यों उलझ रही हो । सुनंदा ने उसे किन्नरों की जिद के बारे में बताया।सुनकर राखी को भी उनपर बहुत गुस्सा आया।
तभी राखी ने सुनंदा के कान में कहा सखी तू बबिता किन्नर को फोन कर और उससे पूछ इनके साथ क्या किया जाय।बबिता मौसी भी तो किन्नर है ।
अरे हां तुम ठीक बोली मैं तो भूल ही गई थी।उसी ने मेरी जान भी बचाई थी।
उसमे तुरंत बबिता किन्नर को फोन222 किया और सब हाल बताया।
बबिता किन्नर ने कहा _ अरे ये पुष्पा किन्नर बहुत बदमाश किन्नर है ।इसके जैसे किन्नरों की वजह से हमारा पूरा किन्नर समाज बदनाम हो रहा है। तु उससे डर मत । तु उसको बोल ढाई हजार लेना है तो ले वर्ना मैं पुलिस को बुलाती हूं।
तु चिंता मत कर मैं भी उधर आती हूं तू मुझे अपना पता भेज । बबिता किन्नर ने कहा ।
ठीक है मौसी मैं भेजती हूं और जैसा कहा है वैसा ही करती हूं।
सुनंदा ने फोन काटकर कहा देखो2 पुष्पा जी आप से मैं फिर अनुरोध करती हूं आप ढाई हजार रुपए प्रेम से लो और बच्चे को आशीर्वाद देकर जाओ।
मैं तो दस हजार लिए बिना इधर से जाने वाली नही हूं ।तुझको जो करना है कर ले। पुष्पा किन्नर ने ढिठाई से कहा।
तो ठीक है मैं पुलिस को बुलाती हूं।वही तुम सबको नेग देगी । इतना कहकर उसने पुलिस को फोन कर किन्नरों द्वारा किए जा रहे हो हंगामा के बारे में बताया और जल्दी आने को कहा।2
पुष्पा किन्नर ने जब सुना की वो पुलिस को बुला रही है वो और उत्तेजित हो गया और हाथ चमका के कहा _ तुम पुलिस को बुलाओ या उसके बाप को मैं किसी से डरने वाली नही हूं। लेकिन उसके एक किन्नर ने कहा पुष्पा मौसी क्यों बात बढ़ा रही हो । जो मिल रहा है लेकर चलो ।पुलिस आयेगी तो बहुत झमेला हो सकता है।
अरे तुम चुप कर बड़ी आई पुलिस से डरने वाली । पुष्पा ने अपने उसी रंग में कहा ।वो किन्नर चुप हो गई।
सुनंदा ने कहा _ ठीक है आने दो पुलिस को अब वही फैसला करेगी ।
पुलिस के आने से पहले थोड़ी देर में बबिता किन्नर अपने साथियों सहित एक गाड़ी से पहुंच गई।
उसको देखकर पुष्पा चौंक गई और थोड़ी चिंतित भी हो गई।
गाड़ी से उतरते ही बबिता को सुनंदा और राखी ने उसका पैर छूकर प्रणाम कर आशीर्वाद लिया ।बबिता ने खुश होकर उन दोनो को आशीर्वाद दिया।
उसका उतना सम्मान देख कर पुष्पा किन्नर को बड़ा आश्चर्य हुआ।
अब उसके चेहरे पर चिंता की लकिरे साफ दिखाई दे रही थी।
बबिता किन्नर ने पुष्पा के पास पहुंचकर कहा _ क्यों री मैं तेरे को समझाई थी न की किसी भी आदमी को परेशान मत करना ।तेरे को जो मांगना है मांग उसकी हैसियत देखकर लेकिन जबरजस्ती किसी से मत करना।
लेकिन तेरे दिमाग में समझ में नही2 आता है।तेरे चलते आजकल हम किन्नरों को इज्जत नहीं मिलती । हमारा पूरा समाज बदनाम हो रहा है।
देखो बबिता तुम भी किन्नर हो ।मेरे मामले में टांग मत अडाओ।तुम अपना काम करो मुझे अपना काम करने दो2।पुष्पा ने हाथ चमकाकर कहा।
बबिता से बहस करते देख उसकी टीम के सभी किन्नर पुष्पा से नाराज हो गए।एक ने कहा _ ये पुष्पा बबिता मौसी हमारी गुरु है और हम सब इसकी चेला2 है।हमारे गुरु के साथ बहस की ना तो अच्छा नही होगा।सीधे मुंह से बात कर कह देती हूं।
लेकिन पुष्पा की टीम के किन्नर सहम कर पीछे हट गए।क्योंकि वे सब बबिता मौसी और उसके चेले किन्नरों की ताकत जानती थी।
अरे तुम लोग इनसे डरती काहे को है रे मैं इन सबको अकेले देख लेगी। पुष्पा ने सबको ललकार कहा।

बबिता ने उसकी बात अनसुनी कर सुनंदा से कहा बेटी तू घर के मालिक22 को जितना देना है नेग इनको देने बोलो।
सुनंदा ने शर्मा जी से कहा अंकल लाइए दीजिए नेग का रुइया पुष्पा जी को दीजिए।
तब तक वहा मोहल्ले के लोगो की काफी भीड़ लग गई थी।आज सबको पहली बार दो किन्नरों की टीम में बहस होते देखने का मौका मिल रहा था ।
एक टीम पूरी तरह ज्यादती पर उतारू था जबकि दूसरी टीम बहुत ही दरिया दिली दिखा रही थी।सबको बबिता मौसी की बात बहुत पसंद आई थी।सब लोग उसके साथ खड़े हो गए।
मोहल्ले के सिन्हा जी ने कहा _ पुष्पा जी देखिए इंसानियत भी कोई चीज होती है ।आप कोई कर्जा नही तसीलने आई है जो जिद कर रही है।जो प्यार से मिल रहा है ले कर बात को खत्म कीजिए।
लेकिन वो नही मानी ।बोली तू हट जा22 अपनी बीबी के आंचल में छुप जा इधर ज्यादा मरदांगिनी मत दिखा ।
सिन्हा जी बेचारे चुपचाप लौट गए।
शर्मा जी ने ढाई हजार रूपए पुष्पा के हाथ में रख कर हाथ जोड़कर कहा आप इसे नेग समझकर रख लीजिए और मेरे नन्हे बच्चे को आशीर्वाद दीजिए।
पुष्पा ने रूपया जमीन पर फेंकते हुए कहा ले जा तु अपना नेग मुझे तो दस हजार रूपए ही चाहिए।
तभी पुलिस की जिप दल बल के साथ पहुंच गई।काफी संख्या में महिला कांस्टेबल थी ।सबने वहा चारो तरफ मोर्चा संभाल लिया।
दरोगा ने बबिता को देखते ही कहा अरे मौसी आप यहां।आपके रहते हुए यहा झमेला कैसे हो रहा है।
सुनंदा ने पूरा मामला दरोगा जी को को समझाया।
उसकी बात को सुनकर दारोगा जी ने पुष्पा से कहा देखो पुष्पा मैं ज्यादा कुछ नही कहूंगा ।बस इतना ही कहना है की तुम ऐसा कुछ मत करो जिससे मोहल्ले की शांति भंग हो वर्ना शांति भंग करने वाले के विरुद्ध मै कानूनी कारवाई करने के लिए मजबूर हो जाऊंगा और तुम सबको पकड़कर थाना ले जाऊंगा और फिर केस बनाकर जेल भेज दूंगा ।
इसलिए चुपचाप जो मिल रहा है ले लो और मुहल्ले से बाहर निकल जाओ।
पुष्पा फिर भी जिद पर अड़ी रही ।तब बबिता ने फिर समझते हुए कहा _ क्यों अपनी बुराई पर उतारू हो ले लो न।
जब पुष्पा नही मानी तो दारोगा ने अपनी महिला कांस्टेबल से कहा ले चलो सबको पकड़कर थाने।
तभी पुष्पा की टीम की एक किन्नर ने शर्मा जी से कहा लाइए जो देना है दीजिए और अपने बच्चे को लाइए ।मैं पुष्पा मौसी को समझा दूंगी।
शर्मा जी ने तुरंत ढाई हजार रुपए उसके हाथ में रख दिया ।उसने उसे ले लिया और बच्चे को आशीर्वाद दीया।

पुष्पा किन्नर अपनी टीम के साथ जाते जाते बबिता और सुनंदा को धमकी दिया मैं तुम दोनो को छोडूंगी नही ।याद रखना पुष्पा किन्नर की बात।
बबिता किन्नर ने भी हाथ चमका कर5 कहा अरे जा जा बहुत देखी हैं तेरी जैसी किन्नर जाओ जो बन सकेगा कर लेना ।में भी देख लेगी तुझे ।
और हा अगर सुनंदा बेटी की तरफ कभी आंख भी उठकर देखी न तो मैं तेरी आंख नोच लेगी तु भी याद रखना हा नही तो ।बड़ी आई है धमकी देने वाली। हां नही तो।
पुष्पा किन्नर की टीम के जाने के बाद सभी मोहल्ले वालों ने राहत की सांस लिया।
शर्मा जी ने सुनंदा और बबिता मौसी का अभार ब्यक्त किया।मोहल्ले वालों ने भी उन दोनो से बहुत खुश हुए।
राखी ने कहा आज तो कॉलेज छूट गया अब क्या करे।
क्या करोगी तुमने देखा नही कितना तमासा हुआ यहां। सुनंदा ने गंभीर होकर कहा चलो आज घर में ही पढ़ाई कर लेंगे। कल कॉलेज में किसी से नोट बुक लेकर देख लेंगे आज क्या क्या पढ़ाई हुई होगी।
राखी बोली चलो ठीक है ।
सुनंदा ने शर्मा जी से कहा अंकल दारोगा साहब के लिए कुर्सी लाइए और इनको भी बेटे की खुशी में मिठाई खिलाइए।
दरोगा जी ना ना करते रहे मगर सुनंदा ने उन्हे जिद कर रोक लिया है।
तभी बबिता मौसी ने कहा सुनंदा अब तुमने मुझे इस खुशी के मौके पर बुला ही लिया है तो चलो थोड़ा नाच गाना भी हो जाए क्योंकि हमारा पेसा ही यही है आप सबकी खुशी में नाच गाकर खुशी को और बढ़ा देना ।बदले में जो नेग मिल गया उसी से अपना गुजारा करते है ।हम न तो पूरी तरह औरत है और न मर्द ही है ।हम सब को समाज हिजड़ा भी कहता है लेकिन क्या करे हमारा नसीब ही यही है।
सुनंदा ने कहा मौसी बिल्कुल हम सब तुम्हरा नाच गाना जरूर देखेंगे।लेकिन अपना दिल छोटा मत करो हम सब आपको अपनी मां से कम नही समझते हैं ।आपकी काफी इज्जत करते हैं।
इसके बाद बबिता ने अपनी गाड़ी से ढोलक और हारमोनियम निकलवा लिया और जमकर अपने किन्नर दल में साथ बारी बारी से नाची ।साथ में5 उसने सुनंदा को भी नचा दिया ।उसका नाचना देखकर सब दंग रह गए। बबिता मौसी तो वाह वाह करने लगी ।उसके मुंह से निकल पड़ा वाह बेटी भगवान ने जितना सुंदर तुम्हे रूप और रंग दिया है उससे ज्यादा तुम में गुण भी दिया है ।जीती रहो सदा सुखी रहो।
पूरे मोहल्ले में आज से पहले किसी के बेटे के जन्म पर इतना बड़ा उत्सव नही हुआ जैसा की आज हुआ । शर्मा जी तो गदगद हो गए ।उन्होंने सुनंदा को खूब आशीर्वाद दिया ।सबने उसकी खूब तारीफ किया ।
मिठाई खाकर दरोगा जी सोने पुलीस दल के साथ खुशी खुशी चले गए।
मोहल्ले वालों ने बबिता और उसकी टीम को सर आंखों पर बैठा लिया।
आज पहली बार हुआ जब किसी दूसरे के बेटे के जन्म पर सबने किन्नरों को नेग दिया।
बबिता को कुछ मांगे बिना ही उसे कुल दस हजार रुपए का नेग मिल गया।उसने खुशी से सुनंदा का मुंह चूम लिया और जी भर के शर्मा जी के बेटे को आशीर्वाद दिया । शर्मा जी की पत्नी ने एक नई साड़ी भी लाकर बबिता मौसी को दिया और आशीर्वाद लिया।
बबिता मौसी ने खुश होकर एक सोहर गीत नाच कर गाई और फिर चली गई।
जहा थोड़ी देर पहले तनाव का माहौल बना हुआ था वहीं सुनंदा और बबिता के चलते खुशियों का सुंदर वातावरण बन गया था ।

शेष अगले भाग _ 13 में।

लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब.9955509286


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1 Comments

Mohammed urooj khan

04-Nov-2023 12:40 PM

👍👍👍👍

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